धनतेरस क्यों मनाते है...
दिवाली के पांच दिनों में धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं।
*धनतेरस
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस तिथि को समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु धन्वंतरी के रूप में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस वजह से इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से ही जाना जाता है।
धनतेरस या धनत्रयोदशी के दिन धनवंतरी देव की पूजा का महत्व है।
धनतेरस के दिन सोना, चांदी, बर्तन, वाहन और मकान खरीदना शुभ होता है। ऐसा करने से साल भर धन प्राप्ति का योग बना रहता है।
धनतेरस के दिन नमक खरीदना शुभ माना जाता है। इस नमक का उपयोग दिवाली के दिन सफाई के दौरान सभी बुरी ऊर्जाओं को बाहर निकालने के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग भोजन बनाने में भी किया जा सकता है।
धनतेरस के दिन 3, 5 या 7 झाड़ू जरूर खरीदें। कम से कम तीन झाड़ू अलग अलग कार्यों के लिए खरीदना चाहिए।
धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन, वाहन और कुबेर यंत्र खरीदना शुभ होता है।
धनतेरस के दिन साबुत धनिये के बीज खरीदना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है । इन बीजों को खरीदकर देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें। इसके बाद देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि से अपनी इच्छा व्यक्त करें।
इनमें से कुछ बीज अपने बगीचे में लगाएं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि धनिये का पौधा बढ़ने के साथ-साथ घर में समृद्धि और खुशहाली लाता है।
इस शुभ दिन पर झाड़ू खरीदने की सलाह दी जाती है, क्योंकि झाड़ू को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
झाड़ू को घर में लाने से पहले उसमें लाल धागा बांध दें । ऐसा माना जाता है कि यह घर को बुरी आत्माओं से बचाता है। झाड़ू को किसी साफ और सूखी जगह जैसे कि रसोई या स्टोर रूम में रखें।
अमावस्या या शनिवार के दिन पुरानी झाड़ू को फेंक देना चाहिए। गुरुवार या शुक्रवार के दिन कभी भी झाड़ू नहीं फेंकनी चाहिए नहीं तो लक्ष्मी जी भी चली जाती हैं।
एक कहानी यह भी है कि जब देवी लक्ष्मी पहली बार वैकुंठ जाती हैं तो वह झाड़ू उठाती है। और उससे पूरे वैकुण्ठ को साफ करना शुरू कर देती है। इस प्रकार यह लक्ष्मी का सहारा है। और उन्हें लक्ष्मी का अवतार माना जाता है।
धनतेरस के दिन लोगों को गाय की पूजा करनी चाहिए और उन्हें रोटी या हरा चारा खिलाना चाहिए।
धन्वंतरि, हिंदू पौराणिक कथाओं में, देवताओं के चिकित्सक। पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और राक्षसों ने दूधिया सागर का मंथन करके अमृत की खोज की, और धन्वंतरि अमृत से भरा प्याला लेकर पानी से बाहर निकले। चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली आयुर्वेद का श्रेय भी उन्हीं को दिया जाता है।
धनतेरस पर शाम के वक्त उत्तर की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करनी चाहिए।
धन्वंतरि हिंदू चिकित्सा के देवता और भगवान विष्णु के अवतार हैं। धन्वंतरि को भवन के उत्तर-उत्तर-पूर्व क्षेत्र में दीवार पर स्वस्तिक चिह्न के साथ स्थापित करने से आपको बेहतर स्वास्थ्य मिलेगा।
दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए। भगवान कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई को भोग लगाया जाता है। पूजा मुहूर्त के दौरान, भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की एक मूर्ति रखें। देसी घी का दीया जलाकर पूजा करें, तिलक लगाएं, माला चढ़ाएं और मिठाई खिलाएं। पूजा के दौरान "ॐ ह्रीं कुबेराय नमः" का जाप करें।
दिवाली के दिन कुछ भी ऐसा ना बनाएं जिससे मां लक्ष्मी नाराज हों। खानपान का भी खास ध्यान रखना चाहिए। भूलकर भी दीपावली के दिन मांस-मछली, शराब आदि का सेवन ना करें। दिवाली की रात पूजा के समय भूलकर भी फटे-पुराने कपड़े ना पहने।
(उपर्युक्त जानकारी पौराणिक कथाओं पर आधारित है। इसीलिए ये विभिन्न सूत्रों से प्राप्त करके लिखी गई है। हिंदू त्योहारों व मान्यताओं को कोई व्यक्ति खुद से नही लिख सकता। इसके लिए पौराणिक ग्रंथों का सहारा लेना पड़ता है। और लगभग हर जगह ये कथाएं और कहानियां एक सी है।)
लेखिका - दिव्यांजली वर्मा
Comments
Post a Comment