जब मैंने श्रीमद्भगवद् गीता पढ़ी

 इस दशहरा मैंने श्रीमद्भगवद् गीता की किताब खरीदी। ये किताब हिंदी भाषा में है और इसमें श्री कृष्ण के उपदेशों को सरल भाषा में काफी समझा के लिखा गया है। इसलिए इसे समझना आसान है। 


बहुत दिन से मैं सोच रही थी की इस किताब को पढ़ना चाहिए। फाइनली ये किताब आज मेरे पास है। मै बहुत ज्यादा ही खुश और एक्साइटेड हूं इस किताब को लेकर। मै जब से इस किताब को खरीद के लाई हूं। हर बार अंदर से ऐसा महसूस हो रहा जैसे मैं कोई percious jewl ले आई हूं। 


इस किताब में इतनी ऊर्जा है। जिसे हर पल महसूस किया जा सकता है। मै बहुत एक्साइटेड हू इस किताब को पढ़ने के लिए। लेकिन मैने अभी इसके आगे के 6 पेज ही पढ़े है। क्योंकि मुझे कुछ भी पढ़ने के बाद बहुत सारे थॉट और सवाल आ जाते है तो मुझे उसे लिखना पड़ता है।


इसलिए इस किताब को पढ़ने में भी काफी समय लग रहा है। लेकिन मैं इसे जल्दी ही खत्म कर दूंगी और हो सकता है की तब तक मैं अपने सारे थॉट और सवाल को एक जगह लिख कर अपनी एक नई किताब बना दू। जिसका जवाब भी मैं खुद ही लिखूंगी।



  
धृतराष्ट्र और पाण्डु सगे भाई थे। धृतराष्ट्र के जन्म से अंधे होने के कारण पाण्डु को राज्य मिला। लेकिन अल्पायु में ही उनकी मृत्यु हो गई। जिस वजह से राज्य का कार्यभार कुछ समय के लिए धृतराष्ट्र को सौप दिया गया।

    धृतराष्ट्र और पाण्डु के पुत्र एक ही महल में साथ साथ बड़े हुए थे। इसलिए राज्य को लेकर चचेरे भाइयों में विवाद था। 

     इसी दौरान एक खेल में दुर्योधन ने छल से पांडवो को हरा कर उनकी पत्नी को भरी सभा में लज्जित करने के लिए उसे निर्वस्त्र करना चाहा। लेकिन भगवान श्री कृष्ण की लीला से उनकी लज्जा बच गई। पर पांडवो को पत्नी सहित 14 वर्ष के लिए वनवास जाना पड़ा। 

    वनवास से लौटने पर पांडवो ने राज्य में अपना हिस्सा मांगा। जिसे दुर्योधन ने देने से मना कर दिया। तो पांडवो ने केवल पांच गांव मांगे लेकिन दुर्योधन ने वो भी देने से मना कर दिया। 

  
   अपने हक के लिए पांडवो का युद्ध करना जरूरी हो गया था। इस युद्ध में श्री कृष्ण ,जो पांडवो की मां के भतीजे थे। उन्होंने ये शर्त रखी की एक तरफ मै रहूंगा और दूसरे पक्ष में मेरी पूरी सेना।

    
    पांडवो ने श्री कृष्ण के दिव्य रूप को पहचान लिया था। इसलिए उन्होंने श्री कृष्ण को मांगा। जबकि दुर्योधन श्री कृष्ण को पहचान नहीं पाए थे। इसलिए उसने कृष्ण की सेना मांगी।

  
    और यही से युद्ध शुरू हुआ। और इसी के साथ भगवद गीता का ज्ञान शुरू होता है। जो श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया। 


लेख by दिव्यांजली वर्मा
27 अक्टूबर,2023

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