निःशुल्क प्रतियोगिता (विषय - दोस्ती बड़ी हसीन है)24 सितंबर,2024

  नारी तू नारायणी हिन्दी साहित्य मंच के WhatsApp ग्रुप मे 24 सितंबर 2023 को आयोजित प्रतियोगिता में विभिन्न रचनाकारों ने भाग लिया। 


सभी को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं 🌺🌺




प्रतियोगिता में भाग लेने वाले रचनाकारों के नाम 👇🏻




इन्दु उपाध्याय


गोविंद रीझवाणी "आनंद"


अंकित ग्रेवाल


हरिहर 'सुमन'


मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"


लखनलाल माहेश्वरी


हेमलता बहुगुणा


रवि शंकर श्रीवास्तव 


नेहा धामा "विजेता"


सुनीलानंद 


अनीता आचार्य


मंजू बाला


उषा श्रीवास्तव


डॉ अर्जुन गुप्ता "गुंजन"


डॉ प्रभा जैन "श्री"


अंजू गांधी 


विनय बंसल


डॉ दक्षा जोशी


तनुजा शुक्ला


विजयलक्ष्मी


किरण विजय पोरवाल


ममता श्रवण अग्रवाल 


मिताली श्रीवास्तव वर्मा


डॉ श्रीमती राजकुमारी वी अग्रवाल


भगवती शिव प्रसाद जी बिहानी 


प्रकाश कुमार यादव


सुधा पण्डा


अनिता राठौड़ "अnu"


भारती श्रीवास्तव छिंदवाड़ा


सुनीता नलवाया (मेहता)


रंजुला चंडालिया कुमुदिनी


फोरम. आर. महेता


डॉ मीरा आर्ची चौहान


श्रीमती संध्या श्रीवास्तव


वीरेन्द्र जैन


रेश्मा बेहेरानी


भावना मोहन विधानी


काजल कुमारी 


प्रा सुनीता केसरवानी


पूर्णिमा सिंह


जुगल किशोर पुरोहित 


सविता मिश्रा


उषा पटेल


उषा टिबड़ेवाल चेन्नई


प्रो डॉ शरद नारायण खरे


रंजना बिनानी काव्या


डॉक्टर कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार 


अंजू सिंह


दीपिका रुखमांगद दीप 


डॉ आर बी पटेल


विजया उनियाल


मीता लुनिवाल "मीत"


रेखा राठौर


सुनंदा गावंडे


रेखा खिंची


कान्ति 


सोनी रावत


राजीव कुमार


अर्चना कुशवाहा


सुमन मीना (अदिति)


Purti Kashyap


आचार्य निर्मल


मंजू वशिष्ट


प्रतिमा यादव


सुनीता श्रीवास्तव


प्राची अनर्थ


पूनम सिन्हा


दीपा टाक


कुसुम लता कठैत


प्रज्ञा सिंह


गीता गिरि


शिवानी पचौरी


कृष्णा सेंदल तेजस्वी


डॉ अनुपम भारद्वाज मिश्रा


निवेदिता सिन्हा


रमा पहरिया


डॉ॰ अर्जुन गुप्ता 'गुंजन'


किरन झा मिश्री


अरुणा सिंह


अलका मिश्रा अतुल्या


मधुबाला सेमवाल


शरद एसपी जैन


पूर्णिमा राय


डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव, प्रतापगढ़


अंकिता


मीना तिवारी


अनिता बाजपाई


पूनम रामजी पांडे


सरिता मिश्रा पाठक "काव्या"


गीता उनियाल




संस्थापिका-दिव्यांजलि वर्मा


जब भी कभी दोस्ती की मिशाल दी जाएगी। सबसे पहले कृष्ण और सुदामा को ही याद किया जाएगा। बचपन के दो गहरे मित्र। जो वक्त के साथ अपने अपने रास्ते पर चल कर जिंदगी के अलग अलग रंग में तो ढल गए। लेकिन फिर भी उनकी दोस्ती कम नही हुई।


सुदामा ,कृष्ण के बाल सखा, जो बचपन में कृष्ण को मैया की मार से बचाने के लिए खुद ही मार खा लिया करते थे। जब हांडी ऊंची होती तो कृष्ण को अपने कंधे पर चढ़ा लिया करते थे। बचपन में कृष्ण के साथ मिलकर पूरे गोकुल में शैतानियां किया करते थे।


लेकिन जैसे जैसे समय बिता दोनो दोस्तो की जिंदगी ने एक अजीब करवट ली। एक को राजा बना दिया और एक को रंक।


पर जब सुदामा बरसो बाद भी अपने मित्र कृष्ण से मिलने गए तो कृष्ण ने अपने दोस्त की खुशी के लिए। उनके चेहरे

 की मुस्कान के लिए तीनो लोको को भी उन्हें देना सुनिश्चित कर लिया था। वो तो उनकी पटरानी ने उन्हें रोक लिया। फिर भी एक दोस्त की जैसी सेवा कृष्ण ने की शायद दुबारा इस दुनिया का कोई प्राणी नही कर पायेगा।


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