दया कैसी? जैसा कर्म वैसा फल- भोगना तो पड़ेगा ही
आज सुबह ही मैंने एक सोशल मीडिया साइट पर देखा कि कितने ही बूढे बुजुर्ग घर से ज़बरदस्ती निकल दिए गए ।फिर वो भिखारियों सी जिंदगी जीने को मजबूर हो गए।
किसी के पास पहनने को कपड़ा नहीं ,किसी के पास घर नहीं ,भूख -प्यास से तड़प रहे । मौत भी नहीं आ रही।कुछ तो एसे भी थे जिनके कीड़े पड़ रहे थे। ये देख के दया तो आई और उन बच्चों पर गुस्सा भी बहुत आई जिन्होंने अपने माँ बाप के साथ एसा किया ।लेकिन तभी मुझे याद आया कि जैसा कर्म होगा वैसा ही फल मिलेगा ।और एकदम से मैं ये सोचने को मजबूर हो गई कि आखिर इन लोग ने अपनी जिंदगी में एसा क्या किया होगा जो ये दिन देखने पड़ रहे।
बचपन से सब यही सुनते आ रहे है कि "जैसा कर्म करो वैसा ही फल मिलता है"। लेकिन ये कर्म - फल वाला सिस्टम चैन की तरह काम करता है इस पर किसी ने विचार नहीं किया। चैन की तरह मतलब एक व्यक्ती के कर्म- फल का चैन तो चलता ही रहता है। साथ ही उस व्यक्तिय के साथ भी उसका एक कर्म- फल का चैन जुड़ जाता है।
अपने पापो को भोगने के लिए जिस नर्क की कल्पना मृत्यु के बाद की जाती है। असल में वो नर्क भी यही है और स्वर्ग भी यही है। बस जितना जल्दी कोई इस बात को समझ जाए ।उतना जल्दी वो सुख - दुख से और जीवन - मरण से मुक्त हो जाएगा।
एक समय वो था जब किसी पर अत्याचार होते हुए देखती थी तो सोचती थी कि जो अत्याचार कर रहा है उसे भी भोगना होगा। मैं ही नहीं एसा सब ही सोचते है की उसके साथ भी एसा ही होगा ।क्योंकि कर्म का फल मिलता ही है। और ये बात 100 प्रतिशत सच भी है। ये भी सबको पता है।
जैसे एक व्यक्ती अपने बूढे बुजुर्ग माँ बाप को मारता है पीटता है ।उन पर अत्याचार करता है। तो एक दिन उसके साथ भी यही होगा ।उसके बच्चे भी उसके साथ एसा ही करेगे। बात एकदम साफ़ है । फिर समझ मे ये नहीं आता कि जिन बूढे माँ बाप पर अत्याचार हो रहा। वो उनके कौन से कर्म का फल है? और भविष्य मे जो बच्चे अपने निर्दयी माँ बाप के साथ वैसा ही क्रूरता का व्यावहार करेगे जैसे उन्होंने किया ।तो फिर उन बच्चों को अपने कर्मों का क्या फल मिलेगा?
कभी भी किसी पर अत्याचार होते देख इंसान बस ये सोच लेता है कि अत्याचार करने वाला गलत है। मगर जब आप जैसा कर्म वैसा फल की बात करते है तो आपको ये भी जानने की जरूरत है कि भोगने वाला भी कभी गलत होगा तभी एसा हो रहा। अगर ये बात सच नहीं है तो फिर जैसा कर्म वैसा फल वाली बात भी झूठी है।
अक्सर देखने मे आता है कि कोई भूख से तड़प रहा, कोई लाइलाज बीमारी से तड़प रहा या फिर किसी को कीड़े पड़ रहे। ये कीड़े पड़ना तो सच मे बहुत ही दर्दनाक है। एकबार सुन कर ही शरीर मे सिरहन सी दौड़ जाती है। लेकिन अब सोचने वालीं बात तो ये है कि उस इंसान ने जिंदगी में एसा क्या किया होगा जो आज उसकी इसी दुर्दशा है।
अगर एक बार कोई ये जान ले तो वो उस क्रूरता भरे काम को करेगा ही नहीं। इस तरह ये कर्म- फल की चैन बनेगी ही नहीं ।
Divyanjli Verma
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